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क्या पड़ेगा आपकी जेब पर असर?: पेट्रोल-डीजल के नए भाव को लेकर आया अपडेट, जानिए पूरी रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर 2023: साल 2024 में आम चुनाव होने हैं. साथ में महंगाई को काबू में करने की भी कवायद है. लेकिन, दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में लगातार तेजी देखने को मिली है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या पेट्रोल-डीजल के भाव में आगे कहीं बढ़ोतरी तो नहीं देखने को मिलेगी?

अगले साल आम चुनाव और मौजूदा समय में महंगाई को देखते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर चिंता बनी हुई है. लेकिन, मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने पेट्रोल-डीजल कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर एक खास रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे माल के दाम में तेजी के बावजूद भई पेट्रोल और डीजल के भाव में बढ़ोतरी की संभावना कम है. उन्होंने अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए कहा है.

क्या है मौजूदा स्थिति

टॉप 2 सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का देश में बिकने वाले कुल पेट्रोल-डीजल मार्केट में करीब 90% हिस्सेदारी है. इन कंपनियों ने पिछले 18 महीनों से पेट्रोल-डीजल के भाव में लगभग कोई बदलाव नहीं किया है. कीमतों पर ये ब्रेक पिछले साल एक ऐसे समय में भी देखने को मिला, जब कच्चे माल यानी क्रूड ऑयल के भाव तेजी दिखी. यही कारण है कि कारोबारी साल 2022-2023 की पहली छमाही में इन कंपनियों को घाटा भी हुआ. हालांकि, इसके पहले कच्चे तेल के दाम में नरमी से इन ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कुछ हद तक फायदा भी हुआ है.

इसके बाद इस साल अगस्त महीने के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में लगातार बढ़ोतरी दिखी है. यही कारण है कि तीनों टॉप ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की मार्जिन अब एक बार फिर घट चुका है. नेट रियलाइज्ड प्राइस और इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल के दाम के अंतर का ये अंतर जून तिमाही में ऊपरी स्तर से बड़े स्तर तक कम हो चुका है. अगस्त महीने में डीजल मार्जिन घटकर निगेटिव हो चुका है. हालांकि, पेट्रोल का मार्जिन बहुत घटा है. अप्रैल – जून तिमाही में जबरदस्त प्रदर्शन के बाद अब एनालिस्टों का अनुमान है कि अगला 12 महीना घरेलू ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है.

किन फैक्टर्स की वजह से कीमतों में तेजी ?

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट स्पष्ट रूप से कहा है कि कच्चे तेल के दाम में सितंबर महीने के दौरान करीब 17% की तेजी दिखी, जिसके बाद ये 90 डॉलर के पार तक पहुंच चुका है. पहली तिमाही में कच्चे तेल का भाव 78 डॉलर प्रति बैरल पर था. मूडीज ने कहा कि OPEC देशी की ओर से उत्पादन में कटौती के फैसले की वजह कच्चे तेल के भाव में ये तेजी देखने को मिली है. हालांकि, यह भी कहा गया कि लंबे समय तक कच्चे तेल का दाम इस स्तर पर बने रहने की संभावना बेहद कम है.

क्या है सरकार की भूमिका ?

सरकार की ओर से बजट में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए 30,000 करोड़ रुपए की पूंजी सपोर्ट से कैश फ्लो बेहतर होने की उम्मीद है. इस आवंटन से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की कैपिटल स्पेंडिंग की जरूरत आंशिक रूप से पूरी हो सकेगी. इसके बदले में IOC और BPCL ने सरकार के लिए राइट्स इश्यू का एलान कर दिया है.

क्या है बाजार की राय ?

एनालिस्टों का कहना है कि अगले कुछ महीनों में पेट्रोल-डीजल के भाव में बढ़ोतरी की संभावना कम है. हालांकि, अगर कच्चे तेल के दाम में तेजी जारी रहती है तो आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

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