दोस्तों, आज हम इस लेख में शेयर्स के विभिन्न प्रकार के बारे में चर्चा करेंगे. नए इन्वेस्टर के लिए शेयर मार्केट में निवेश करना आसान नहीं होता है. निवेश करने से पहले मार्केट की कई बातों ध्यान होना आवश्यक है. इसमें शेयर मार्केट के स्टॉक को समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है. इस ब्लॉग पोस्ट में हम भारत में ट्रेड करने वाले शेयर्स के व्यव्हार और प्रकार के बारे में जानकारी कवर करेंगे.
1. सामान्य स्टॉक
ये स्टॉक आम शेयर के रूप में जाने जाते हैं कि, किसी भी कंपनी के मूल्य को प्रतिनिधित्व करते हैं. सामान्य स्टॉक निवेशकों को कोई विशेष लाभ प्रदान नहीं करते हैं लेकिन इनका मूल्य संदर्भ में उपलब्ध होने के कारण इनका ट्रेडिंग करना आसान होता है. इसलिए, सामान्य स्टॉक को आम शेयरों के रूप में भी जाना जाता है.ये शेयर आम जनता के लिए उपलब्ध होते हैं. अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो पहले ये जानें कि शेयर मार्केट क्या है?
सामान्य स्टॉक कंपनियों की प्रोपर्टी को दर्शाता है. अगर आप किसी कंपनी के सामान्य स्टॉक खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के लाभ और हानि का हिस्सा होते हैं. अगर कंपनी अच्छा काम करती है तो आपके स्टॉक का मूल्य बढ़ता है और अगर वह बुरा काम करती है तो मूल्य घटता है. इसलिए, सामान्य स्टॉक आम लोगों के द्वारा आसानी से खरीदे जाने वाले स्टॉक होते हैं जिनका मूल्य दिन-पर-दिन के व्यापक मार्केट ट्रेंडों के आधार पर बदलता रहता है.
2. पसंदीदा स्टॉक
पसंदीदा स्टॉक का मतलब होता है कि वह स्टॉक जो आप बहुत पसंद करते हो और जिसे आपको बहुत भरोसा हो. जैसे हमें खाने में कुछ खास पसंद होता है जो हमें बहुत अच्छा लगता है, वैसे ही शेयर बाजार में भी कुछ स्टॉक होते हैं जिन्हें लोग बहुत पसंद करते हैं और जिन पर लोग ज्यादा भरोसा करते हैं. इस प्रकार के स्टॉक को पसंदीदा स्टॉक कहा जाता है.
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3. ब्लू-चिप स्टॉक्स
ब्लू-चिप स्टॉक्स वे स्टॉक्स होते हैं जो बहुत बड़ी, स्थिर और प्रतिष्ठित कंपनियों के होते हैं. ये कंपनियां अपनी अच्छी वित्तीय स्थिति, मार्केट शेयर और प्रतिष्ठा के कारण प्रतिष्ठित होती हैं. ऐसी कंपनियों में शामिल होने के लिए उन्हें अपने वित्तीय बाजार में कुछ वर्षों तक सफलता दिखानी पड़ती है.
ब्लू-चिप स्टॉक्स अनुमानित रूप से कम नुकसान के साथ एक अच्छा निवेश विकल्प होते हैं, क्योंकि ये विश्वसनीय होते हैं और अपने सेक्टर में अग्रणी होते हैं. इसलिए, ब्लू-चिप स्टॉक्स एक सुरक्षित निवेश विकल्प भी होते हैं. विप्रो एक उदाहरण है जो ब्लू-चिप स्टॉक्स का भारतीय शेयर बाजार में प्रतिनिधित्व करता है. इसकी स्टॉक बाजार में मांग बढ़ती है और अच्छी रिटर्न देता है जो लंबे समय तक निवेशकों के लिए आकर्षक होता है.
4. मिड-कैप स्टॉक्स
मिड-कैप स्टॉक्स का मतलब होता है कि ऐसी कंपनियां जिनके मार्केट कैपिटलाइज़ेशन की मूल्य लार्ज-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों के बीच होती है. मार्केट कैपिटलाइज़ेशन वो मूल्य होता है जिससे हम यह जान सकते हैं कि किसी कंपनी के शेयरों की कुल मूल्य कितनी होती है. आमतौर पर मिड-कैप स्टॉक्स का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन लगभग 5,000 से 20,000 करोड़ रुपये के बीच होती है.
मिड-कैप स्टॉक्स में निवेश करने का एक फायदा यह है कि ये शेयर बहुत ज्यादा वोलेटिल नहीं होते हैं. यानी कि इन शेयरों की कीमत अधिक उपर-नीचे नहीं चलती है. इसलिए, मिड-कैप स्टॉक्स में निवेश करना सुरक्षित होता है.
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5. स्मॉल-कैप स्टॉक्स
स्मॉल-कैप स्टॉक्स उन स्टॉक्स को कहते हैं जिनके मार्केट कैपिटलिजेशन कम होती है. मार्केट कैपिटलिजेशन उस कंपनी के शेयरों की कुल मार्केट वैल्यू होती है. एक उदाहरण के रूप में, अगर कोई कंपनी के पास 100 शेयर होते हैं और हर शेयर की मूल्य रुपये 10 होती है, तो उस कंपनी की मार्केट कैपिटलिजेशन 1000 रुपये होगी.
अब, स्मॉल-कैप स्टॉक्स छोटी कंपनियों के होते हैं जिनकी मार्केट कैपिटलिजेशन कम होती है. इसका मतलब है कि ऐसी कंपनियों के पास कम शेयर होते हैं और उनके मूल्य भी कम होते हैं.
इन स्मॉल-कैप स्टॉक्स का निवेश करना थोड़ा ज्यादा जोखिमी हो सकता है क्योंकि इन कंपनियों की स्थिति अनिश्चित होती है. लेकिन अगर किसी इन्वेस्टर के पास लम्बी समय ध्यान देने की क्षमता होती है, तो वह स्मॉल-कैप स्टॉक्स में निवेश कर सकता है.
6. पेनी स्टॉक्स
पेनी स्टॉक्स वे स्टॉक होते हैं जिनकी कीमत बहुत कम होती है और जो कम कीमत पर खरीदे जा सकते हैं. इसलिए इन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.
इन स्टॉक्स का बाजार में ट्रेडिंग काफी ज्यादा वोलेटाइल होता है यानी की उनके मूल्य बड़े से बड़ा उतार-चढ़ाव करते रहते हैं. इसलिए इन स्टॉक्स को खरीदने से पहले निवेशकों को अच्छी तरह सोच समझ कर तय करना चाहिए कि क्या वे उनमें निवेश करने के लिए तैयार हैं.
पेनी स्टॉक्स कंपनियों के स्टॉक होते हैं जो अभी नये होते हैं या जो कंपनियों का कारोबार ठीक से नहीं चल रहा होता है. इन कंपनियों का स्टॉक ज्यादातर छोटे निवेशकों के लिए होता है जो कम कीमत पर निवेश करने की सोचते होते हैं.
लेकिन, पेनी स्टॉक्स को खरीदने से पहले निवेशकों को समझना चाहिए कि ये बहुत ही जोखिमपूर्ण होते हैं और इनमें निवेश करने से पहले निवेशकों को इन स्टॉक्स की अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए.
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7. ग्रोथ स्टॉक्स
ग्रोथ स्टॉक्स वे स्टॉक होते हैं जो दूसरे स्टॉकों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं. ये स्टॉक उन कंपनियों के होते हैं जिनमें वृद्धि की बड़ी संभावना होती है. इन कंपनियों के स्टॉक मूल्यों में वृद्धि होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. इसलिए ये स्टॉक निवेशकों के बीच बहुत लोकप्रिय होते हैं.
8. वैल्यू स्टॉक्स
वैल्यू स्टॉक उन कंपनियों के स्टॉक होते हैं जो वर्तमान में बाजार द्वारा अंडरवैल्यूड हैं. ये स्टॉक उन निवेशकों के लिए निवेश का एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं जो मानते हैं कि बाजार अंततः इन कंपनियों के सही मूल्य को पहचान लेगा.
वैल्यू स्टॉक एक ऐसा स्टॉक होता है जो कंपनी की वर्तमान मूल्यांकन से कम कीमत पर बिकता है. जैसे कि आपके पास एक रुपये का नोट है, लेकिन अगर आप इसे 50 पैसे में खरीदते हैं, तो यह वैल्यू स्टॉक के रूप में जाना जाएगा. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसका मूल्यांकन मानदंड अधिकतम कंपनी के मूल्यांकन से अलग होता है.
यदि हम इस बात की बात करें कि वैल्यू स्टॉक कंपनी को अधिक स्थायित्व प्रदान करते हैं क्योंकि इनमें निवेश करने वाले लोगों को लाभ प्रदान किया जाता है, तो हम इसे एक सवाल के रूप में पेश कर सकते हैं –
क्या वैल्यू स्टॉक एक अच्छा निवेश विकल्प हो सकता है?
इसका जवाब हाँ हो सकता है. इसलिए, यदि आप एक नए निवेशक हैं और अपने पैसे को निवेश करना चाहते हैं, तो वैल्यू स्टॉक एक अच्छा विकल्प हो सकता है. यह निवेश के लिए आसान रूप से उपलब्ध होता है और यह आपके निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प भी हो सकता है.
9. आय स्टॉक
आय स्टॉक वे स्टॉक होते हैं जो उन कंपनियों के होते हैं जो अधिक लाभ देने की क्षमता रखते हैं. इसका अर्थ है कि जब लोग उन कंपनियों के स्टॉक खरीदते हैं जो ज्यादा पैसे कमाती हैं, तब उन्हें उस समय लाभ मिलता है यानी dividends देती हैं. उदाहरण के लिए, यदि एक व्यक्ति एक ऐसी कंपनी के शेयर खरीदता है जो ज्यादा पैसे कमाती है, तो वह उस समय लाभ कमाएगा.
10. रक्षात्मक स्टॉक
रक्षात्मक स्टॉक उन कंपनियों के स्टॉक होते हैं जिनके बाजार में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होने की संभावना कम होती है. ये स्टॉक रक्षात्मक क्षेत्रों से जुड़े होते हैं जैसे कि रक्षा उपकरण, आयुध, हवाई जहाज़, नौसेना जहाज़ आदि रक्षात्मक शेयरों में निवेश करना उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो स्थिर रिटर्न की तलाश में हैं.
रक्षात्मक स्टॉक वे स्टॉक होते हैं जो जंग, बीमारी और आपसी झड़पों के समय भी अपने मूल्य को नहीं खोते हैं. इसका अर्थ है कि जब भी अचानक कुछ बुरा होता है, तो इन स्टॉक का मूल्य बहुत कम गिरता है.
इन स्टॉक का उपयोग उन उद्योगों से जुड़े लोगों द्वारा किया जाता है जो अपनी जिम्मेदारियों के लिए जाने जाते हैं. जैसे कि, उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य सेवाओं और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए उत्पादन करने वाली कंपनियां रक्षात्मक स्टॉक की श्रृंखला में आती हैं. ऐसे लोग जो स्थिर निवेश की तलाश में होते हैं, रक्षात्मक स्टॉक में निवेश करने को अच्छा विकल्प मानते हैं.
निष्कर्ष
यदि सही ढंग से किया जाए तो शेयर बाजार में निवेश करना एक फायदेमंद अनुभव हो सकता है. भारत में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के शेयरों को समझना निवेश संबंधी निर्णय लेने की पहली स्टेप है. ध्यान रखें कि शेयर बाजार में निवेश में जोखिम होता है और निवेशकों को हमेशा किसी भी निवेश निर्णय से पहले शोध करना चाहिए और किसी योग्य पेशेवर की सलाह लेनी चाहिए.
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FAQs
भारत में विभिन्न प्रकार के स्टॉक क्या हैं?
भारत में विभिन्न प्रकार के शेयरों में सामान्य स्टॉक, पसंदीदा स्टॉक, ब्लू-चिप स्टॉक, मिड-कैप स्टॉक, स्मॉल-कैप स्टॉक और पेनी स्टॉक शामिल हैं.
सामान्य स्टॉक और पसंदीदा स्टॉक में क्या अंतर है?
सामान्य स्टॉक जो कि इक्विटी शेयर के रूप में भी जाना जाता है, एक आम शेयर होता है जिसमें कंपनी के सभी शेयर होते हैं. इसके बिल्कुल बराबर अंश और मताधिकार होते हैं. दूसरी ओर, पसंदीदा स्टॉक उस स्टॉक को कहते हैं जिसमें निजी कंपनियों के प्रतिशत होते हैं. इन स्टॉक्स में अधिकतर मताधिकार और अधिकतम अंश रखे जाते हैं जिसके कारण पसंदीदा स्टॉक में निवेश करने के लिए अधिक रिस्क शामिल होता है.
ब्लू-चिप स्टॉक क्या हैं?
ब्लू-चिप स्टॉक उन शेयरों को कहा जाता है जो ऐसी कंपनियों के होते हैं जो दुनिया भर में प्रतिष्ठित हैं और जिनके पास लंबी इतिहास और धीमी रफ़्तार वाला विकास होता है. इन कंपनियों के शेयरों की मांग ज्यादा होती है और इसलिए उनकी कीमतें ज्यादा होती हैं. ब्लू-चिप स्टॉक निवेश करने से निवेशकों को निवेश के समय तक कम से कम जोखिम वाली निवेश विकल्प मिलते हैं.
मिड कैप स्टॉक क्या हैं?
मिड-कैप स्टॉक शेयर बाजार में छोटे आकार के कंपनियों के स्टॉक को कहा जाता है जो लार्ज-कैप स्टॉक से थोड़े कम मूल्य वाले होते हैं. ये कंपनियां नई होती हैं या फिर पहले से मौजूद होती हैं, लेकिन उनका बाजार मूल्य लार्ज-कैप स्टॉक से कम होता है. मिड-कैप स्टॉक में निवेश करने के बारे में याद रखने वाली बात यह है कि ये स्टॉक आमतौर पर ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले होते हैं और निवेश के जोखिम को भी ले लेते हैं.
स्मॉल-कैप स्टॉक क्या हैं?
स्मॉल-कैप स्टॉक कंपनियों के शेयर होते हैं जिनकी मार्केट कैप छोटी होती है। मार्केट कैप वह अंक होता है जो कंपनी के सभी शेयरों की मूल्यांकन का एक परिमाण होता है। स्मॉल-कैप स्टॉक में निवेश करने से अधिकतर निवेशक छोटी कंपनियों में निवेश करने का मौका प्राप्त करते हैं।
पैनी स्टॉक क्या हैं?
पैनी स्टॉक छोटी, अज्ञात कंपनियों के स्टॉक हैं जो कम कीमत पर व्यापार करते हैं और उच्च जोखिम वाले निवेश माने जाते हैं.
भारत में विभिन्न प्रकार के शेयरों को समझने का क्या महत्व है?
विभिन्न प्रकार के शेयरों को समझने से निवेशकों को सूचित निवेश निर्णय लेने और उनके पोर्टफोलियो को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है. यह निवेशकों को अपने निवेश में विविधता लाने और जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है.
निवेशक कैसे तय कर सकते हैं कि किस प्रकार के स्टॉक में निवेश करना है?
किसी विशेष प्रकार के स्टॉक में निवेश करने का निर्णय लेने से पहले निवेशकों को कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, विकास की संभावनाओं और समग्र बाजार के रुझानों का गहन शोध और विश्लेषण करना चाहिए.
क्या भारत में शेयरों में निवेश करना जोखिम भरा है?
हां, भारत में शेयरों में निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि बाजार की स्थितियों, कंपनी के प्रदर्शन और वैश्विक आर्थिक रुझानों जैसे विभिन्न कारकों के कारण स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है. हालांकि, उचित शोध और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के साथ, निवेशक अपने जोखिम को कम कर सकते हैं और अपने रिटर्न को अधिकतम कर सकते हैं.
भारत में शेयरों में निवेश करते समय निवेशक अपने जोखिमों का प्रबंधन कैसे कर सकते हैं?
निवेशक अपने निवेश में विविधता लाकर, लंबी अवधि के लिए निवेश करके, और स्टॉप-लॉस ऑर्डर और ट्रेलिंग स्टॉप ऑर्डर जैसे जोखिम प्रबंधन टूल का उपयोग करके भारत में शेयरों में निवेश करते समय अपने जोखिमों का प्रबंधन कर सकते हैं. उन्हें बाजार के नवीनतम रुझानों और समाचारों से भी अपडेट रहना चाहिए.