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कचरे से खड़ा किया लाखों का बिज़नेस, 21 साल के सन्नी ने प्लास्टिक वेस्ट से कमाए 12 लाख | plastic recycling startups in india

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Success Story in Hindi – अक्सर हम लोग प्लास्टिक वेस्ट बॉटल, पन्नियां, डिब्बे आदि को कचरा समझकर फेंक देते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि उसी प्लास्टिक के कचरे से हमारी जरूरत की बहुत सी चीजें भी बनाई जा सकती है। वह भी एकदम इकोफ्रेंडली तरीके से। आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच्ची बात है।

सन्नी गोयल दिल्ली के रहने वाले हैं। उनका फैमिली बैकग्राउंड भी बिजनेस ही रहा है। जबकि उन्नति मध्य प्रदेश की खंडवा की रहने वाली हैं।
सन्नी गोयल दिल्ली के रहने वाले हैं। उनका फैमिली बैकग्राउंड भी बिजनेस ही रहा है। जबकि उन्नति मध्य प्रदेश की खंडवा की रहने वाली हैं।

दिल्ली के रहने वाले सन्नी गोयल और खंडवा की रहने वाली उन्नति मित्तल ने ऐसी ही एक शुरुआत की है। दोनों मिलकर प्लास्टिक वेस्ट से फर्नीचर और होम डेकोरेशन की सामान तैयार कर रहे हैं। एक साल पहले ही उन्होंने यह स्टार्टअप शुरू किया था। अभी फ़िलहाल इससे वे हर महीने लाखों का बिज़नेस कर रहे हैं।

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ये तो आप जानते ही हैं, प्लास्टिक वेस्ट हम सबके लिए बड़ी चुनौती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 150 लाख टन प्लास्टिक वेस्ट निकलता है। इसका ज्यादातर हिस्सा समुद्र में बहा दिया जाता है। बहुत कम स्केल पर ही प्लास्टिक को डिकम्पोज या रिसाइकिल किया जाता है यानि फिर से इस्तेमाल में लाया जाता है। हालांकि पिछले कुछ सालों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर जागरूकता थोड़ी बढ़ी है। कई युवा हैं जो इस मुसीबत को कम करने के लिए काम कर रहे हैं।

कॉलेज में ही तैयार किया था पहला प्रोटोटाइप – Success Story in Hindi

21 साल के सन्नी और 22 साल की उन्नति दोनों B.Com. ग्रेजुएट हैं। दोनों ने मध्यप्रदेश के इंदौर के एक कॉलेज से साथ में शिक्षा प्राप्त की है। सन्नी बताते हैं कि जब मैं 1st ईयर में था तो दोस्तों के साथ टूर पर जाता था। वहां अक्सर प्लास्टिक वेस्ट देखने को मिल जाता था। लोग इस्तेमाल करने के बाद जहां-तहां कुछ भी प्लास्टिक वेस्ट फेंक देते थे। मुझे इससे तकलीफ होती थी और तब से मैं सोच रहा था कि आखिर इससे छुटकारा कैसे पाया जाए।

साल 2018 में मैंने अपने कॉलेज के एक प्रोफेसर से इसको लेकर बात की। तब उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में जानकारी दी। इसके बाद मैंने इसको लेकर रिसर्च करना शुरू किया। कई प्रोजेक्ट्स की स्टडी की और पहला प्रोटोटाइप कॉलेज के लैब में ही तैयार किया। यह सफल रहा। लोगों ने तारीफ भी की। कुछ दिन बाद एक कॉम्पिटिशन में हम विजेता बने और इनाम भी मिला।

सन्नी कहते हैं कि जब लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो मुझे लगा कि इस काम को हमें आगे ले जाना चाहिए। तब मैंने उन्नति से बात की और साल 2020 में इसे प्रोफेशनल लेवल पर शुरू किया।

10 लाख रुपए से किया शुरू, पहले ही साल 12 लाख का बिजनेस

सन्नी और उन्नति ने मिलकर इंदौर में किराए पर एक ऑफिस लिया। कुछ इम्प्लॉई और इंटर्न काम पर रखे। इसके बाद एक लैब और कम्प्रेसर मशीन की व्यवस्था की। इसमें करीब 10 लाख रुपए की लागत आई। उन्होंने प्लामेंट नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर की और काम करना शुरू कर दिया। सन्नी कहते हैं कि हमने स्कूल, कॉलेज और इंदौर के कुछ रेस्टोरेंट के लिए फर्नीचर तैयार किए। कई लोगों के लिए हमने घर की जरूरी चीजों को भी तैयार किया। चूंकि हमारा आइडिया यूनीक था और क्वालिटी अच्छी थी इसलिए लोगों की डिमांड बढ़ती गई। हालांकि तभी कोरोना की वजह से देशभर में लॉकडाउन लग गया।

इसका सीधा असर हमारे कारोबार पर पड़ा। शुरुआत में तो हम तय ही नहीं कर पा रहे थे कि इसे आगे कैसे ले जाया जाए। कारीगर काम करने के लिए तैयार नहीं थे और महामारी के बीच उनको काम पर बुलाना भी सही नहीं था। इसलिए कुछ महीने बाद ही हमें काम बंद करना पड़ा। इसके बाद हालात ठीक हुए तो हमने वापस काम शुरू किया, लेकिन तभी दूसरी लहर आ धमकी। हमें फिर से काम बंद करना पड़ा।

प्लास्टिक वेस्ट गर्म करने के बाद इस तरह का एक प्रोटोटाइप तैयार होता है। इससे फिर फर्नीचर बनता है।
प्लास्टिक वेस्ट गर्म करने के बाद इस तरह का एक प्रोटोटाइप तैयार होता है। इससे फिर फर्नीचर बनता है।
सन्नी के मुताबिक उनके फर्नीचर की क्वालिटी एक आम फर्नीचर के मुकाबले अच्छी होती है।
सन्नी के मुताबिक उनके फर्नीचर की क्वालिटी एक आम फर्नीचर के मुकाबले अच्छी होती है।

हालांकि अब धीरे-धीरे हालात ठीक हो रहे हैं। हम वापस अपने काम की तरफ लौट रहे हैं। कई लोगों और कॉर्पोरेट कस्टमर के जरिए हमें ऑर्डर मिले हैं। कोविड के बाद भी हमने पिछले एक साल में करीब 12 लाख रुपए का बिजनेस किया है।

प्लास्टिक वेस्ट से फर्नीचर कैसे तैयार करते हैं? Success Story in Hindi

सन्नी बताते हैं कि प्लास्टिक वेस्ट से फर्नीचर तैयार करने के लिए सबसे पहले हम प्लास्टिक वेस्ट कलेक्ट करते हैं। इसके लिए लैंडफील्ड के साथ ही हमने लोकल म्युनिसिपल के वर्कर्स से भी कॉन्टैक्ट कर रखा है। वे हमें प्लास्टिक वेस्ट सप्लाई करते हैं। प्लास्टिक वेस्ट कलेक्ट करने के बाद उसे हम अलग-अलग कैटेगरी में बांट लेते हैं। फिर उसे एक फिक्स टेम्परेचर पर गर्म किया जाता है। इससे प्लास्टिक वेस्ट पिघल जाता है। इसके बाद हम एक केमिकल उसमें मिलाते हैं। और प्रोसेसिंग के बाद शीट तैयार करते हैं। इस शीट को क्वालिटी टेस्टिंग के बाद प्रोटोटाइप पर फिट किया जाता है। फिर उससे फर्नीचर और बाकी प्रोडक्ट बनाए जाते हैं।

सन्नी की टीम में फिलहाल 4 लोग काम करते हैं। इसके अलावा उनके साथ कुछ इंटर्न भी जुड़े हैं। फिलहाल वे ऑफिस के इस्तेमाल से लेकर होम डेकोरेशन के एक दर्जन से ज्यादा आइटम्स बना रहे हैं। कई कस्टमर्स के लिए वे उनकी डिमांड के मुताबिक कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट भी बनाते हैं।

मार्केटिंग के लिए सन्नी सोशल मीडिया, रिटेलरशिप और वर्ड ऑफ माउथ का इस्तेमाल कर रहे हैं। जल्द ही वे अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करेंगे। फर्नीचर बनाने वाली कई होलसेल दुकानों से भी उनका टाइअप है।

कहां से ले सकते हैं ट्रेनिंग? Success Story in Hindi

अगर कोई इस सेक्टर में करियर बनाना चाहता है तो उसे सबसे पहले प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को समझना होगा। उसकी प्रोसेस को समझना होगा। इसको लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ट्रेनिंग कोर्स भी करवाती हैं। कई प्राइवेट संस्थान भी इसकी ट्रेनिंग देते हैं। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वेस्ट मैनेजमेंट, भोपाल से इसकी ट्रेनिंग ली जा सकती है। इस सेक्टर में काम करने वाले कई इंडिविजुअल्स भी इसकी ट्रेंनिग देते हैं।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारें प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अभियान चला रही हैं। कई शहरों में प्लास्टिक वेस्ट कलेक्शन सेंटर भी बने हैं। जहां लोगों को कचरे के बदले पैसे मिलते हैं। यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) के तहत देश में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

प्लास्टिक वेस्ट से फर्नीचर ही नहीं, फैशन से जुड़े प्रोडक्ट भी बना सकते हैं इन दिनों प्लास्टिक वेस्ट को लेकर कई स्टार्टअप काम कर रहे हैं। कुछ इससे फर्नीचर तो कुछ इससे फैशन से जुड़े प्रोडक्ट भी तैयार कर रहे हैं।

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