घर पर हाइड्रोपोनिक खेती (hydroponic farming at home) : कभी-कभी कोई सक्सेस स्टोरी आपकी पूरी जिंदगी बदलकर रख देती है. ऐसी ही Success Story in Hindi हम लेकर आते रहते हैं. hydroponic farming in hindi से जुड़ी आज हम आपको बताएंगे, बरेली (उत्तरप्रदेश) के रहने वाले रामवीर सिंह की सफलता की कहानी.
- घर पर हाइड्रोपोनिक खेती कैसे शुरू हुई
- अपनी नौकरी छोड़ कैसे हाइड्रोपोनिक खेती सेटअप लगाया (hydroponic farming at home)
- उनको हाइड्रोपोनिक प्लांट का आइडिया दुबई से मिला
- कैसे किया हाईड्रोपोनिक्स सिस्टम का इस्तेमाल (Hydroponic Farming kaise kare)
- हाइड्रोपोनिक प्लांट में कई तरह की सब्जियां उगाते हैं
- अब है सालाना 70 लाख रुपए का टर्नओवर
घर पर हाइड्रोपोनिक खेती कैसे शुरू हुई
रामवीर सिंह बताते हैं कि, वर्ष 2009 में उनके दोस्त के अंकल को कैंसर हो गया था. डॉक्टर्स ने बताया कि ये कीटनाशक के कारण हुआ है, जो सब्जियों, फलों और फसलों में काम में लिया जाता है. इसको सुनकर इन्हें धक्का सा लगा. तभी उन्होंने अपने परिवार को ऐसी समस्याओं से बचाने के लिए, रसायन युक्त फल-सब्जियों से दूर रखने का फैसला किया और घर पर सब्जी उगाने का सोचा.
अपनी नौकरी छोड़ कैसे हाइड्रोपोनिक खेती सेटअप लगाया (hydroponic farming at home)
रामवीर सिंह ने फैसला तो ले लिया था, लेकिन ये इतना आसान भी नहीं था. उन्होंने अपनी फुल टाइम पत्रकारिता वाली नौकरी को छोड़ दी, और जैविक सब्जियां उगाने अपने गाँव बरेली आ गए. यहाँ उन्होंने शुरू में फ्रीलांस पत्रकारिता का काम किया, जिससे वे अपनी जैविक खेती में भी समय दे सकें.
आज रामवीर सिंह का तीन मंजिला घर सब्जियों से लदा है, बालकनी में तोरई, छत पर टमाटर. उन्होंने छोटे से शहर बरेली में आधुनिक हाइड्रोपोनिक खेती (hydroponic farming at home) शुरू कर दी. अब वे सब्जियां बेचकर लाखों रूपये महिना कमा रहे हैं.
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उनको हाइड्रोपोनिक प्लांट का आइडिया दुबई से मिला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रामवीर सिंह वर्ष 2017 में दुबई गए थे. वहां उन्होंने कई जगह हाईड्रोपोनिक प्लांट देखें. वे इनसे काफी प्रभावित हुए, खुद इसे शुरू करने का निर्णय लिया. वे बताते हैं कि, इस आधुनिक खेती में मिटटी के बिना पानी से ही खेती की जा सकती है, साथ कीटनाशक संक्रमण से भी छुटकारा मिल जाता है. हाइड्रोपोनिक प्लांट में सामान्य खेती से 80 प्रतिशत कम पानी इस्तेमाल होता है.
दुबई से लौटने के बाद इन्होने कोलकाता और मुबई से इसके बारे में अधिक जानकारी जुटाई, साथ ही इन्टरनेट पर भी बहुत कुछ खंगाला. इसके बाद इन्होनें बरेली की पीलीभीत रोड पर अपने घर को ही हाइड्रोपोनिक प्लांट में बदल डाला. ऐसे शुरू हुई घर पर हाइड्रोपोनिक खेती और फिर इसने जिंदगी बदल दी.
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कैसे किया हाईड्रोपोनिक्स सिस्टम का इस्तेमाल (Hydroponic Farming kaise kare)
हाईड्रोपोनिक्स खेती के लिए इन्होने अपने घर की बालकनियों और खुली जगहों को चुना.हाइड्रोपोनिक खेती सेटअप को व्यवस्थित तरीके से करने के लिए PVC पाइप का उपयोग किया. इसमें आवश्यक दूरी पर जालीदार छोटे गमलो केलिए छेड़ किये. इन सभी पाइपों को ढलान के अनुसार एक-दूसरे से जोड़ा. फिर इन छेद में सैंकड़ों गमले लगाए, जिनमें सब्जियों की पोध लगी थी. उन सभी पोधों को पानी देने के लिए पाइप के एक सिरे में वाटर पंप से पानी छोड़ा जाता था, जो सभी पाइप लाइन में से होता हुआ वापस टैंक में आ जाता था.
हाइड्रोपोनिक प्लांट में कई तरह की सब्जियां उगाते हैं
रामवीर ने अब अपने हाइड्रोपोनिक खेती सेटअप में 10 हजार से अधिक पोधे लगा रखें हैं. उनका हाइड्रोपोनिक प्लांट 750 वर्गमीटर में हैं. वे भिन्डी, शिमला मिर्ची, लौकी, फूल गोभी, मेथी, स्टाबेरी, पालक, टमाटर, मटर, तोरई आदि सभी मौसमी सब्जियां उगाते हैं. वे उन्हें खुद तो खाते ही हैं, साथ मार्केट में बेचकर लाखो रूपये हर महीने कमाते हैं.
रामवीर सिंह के अनुसार, हाईड्रोपोनिक्स खेती बाकी अन्य प्रकार की जैविक खेती से ज्यादा बेहतर और स्वस्थ है. इसके द्वारा होने वाली सब्जियों में अधिक पोषक तत्त्व प्राप्त होते हैं. इसमें मिटटी के प्रदूषण का भी कोई खतरा नहीं होता है, साथ ही हानिकारक रासायनिक कीटनाशक से भी मुक्त है.
अब है सालाना 70 लाख रुपए का टर्नओवर
उनका तीन मंजिला घर अब हरियाली से भरा पड़ा है, जो राहगीरों को काफी आकर्षित करता है. पत्थर-सीमेंट की इन दीवारों पर हरी सब्जियों का नजारा अद्भुत है. रामवीर सिंह ‘विम्पा ऑर्गेनिक और हाईड्रोपोनिक्स कंपनी’ भी चलाते हैं. जहां वह दूसरे लोगों को इस हाइड्रोपोनिक खेती करने में मदद करते हैं. इस कंपनी का रेवेन्यू सालाना 70 लाख रुपए है.
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